तुलसी ने गाई राम की गाथा
राम ने था हनुमान को साधा
हनुमान ने भी राम को अपने तन मन से बांधा
यही तो है रामायण की सारी कथा
आज घर- घर रामायण गाते हैं
राम की कथा सुनाते हैं
अपने पापों से तर जाते हैं
तभी राम नाम का प्रसाद पाते हैं
रामायण की दोहा चौपाई
आज घर -घर में है छाई
सबके ही मन को है भाई
तुलसी ने की ऐसी कविताई
राम को माना आराध्य अपना
यही था तुलसी का सपना
सच हो गया देखो आज
कलयुग में भी चाहते है राम राज
राम ने था हनुमान को साधा
हनुमान ने भी राम को अपने तन मन से बांधा
यही तो है रामायण की सारी कथा
आज घर- घर रामायण गाते हैं
राम की कथा सुनाते हैं
अपने पापों से तर जाते हैं
तभी राम नाम का प्रसाद पाते हैं
रामायण की दोहा चौपाई
आज घर -घर में है छाई
सबके ही मन को है भाई
तुलसी ने की ऐसी कविताई
राम को माना आराध्य अपना
यही था तुलसी का सपना
सच हो गया देखो आज
कलयुग में भी चाहते है राम राज
राम थे एक पत्नी भक्त
सीता ने भी निभाया पातिव्रत
दोनों ही महान थे
कहलाये सबके भगवान थे
महावीर को भी वह नहीं भूले
उसी के संग सीता की खोज में जंगल-जंगल डोले
भाई भरत के सामान ही उनको माना
हनुमान ने भी राम को अपना आराध्य जाना
विनयावलि रत्नावलि कविता वलि
हैं तुलसी की रचनायें
जिनमें हैं दास्य भाव की कवितायेँ
आवो हम सब गा गाकर इन्हें सुनायें
तुलसी ने अष्टमूल में था जन्म लिया
माता पिता ने तो उन्हें त्याग ही दिया
प्रिय रत्ना का भी कैसा भाग्य रहा
तुलसी को दांपत्य सुख नहीं मिला
प्रताड़ित हुए तुलसी पत्नी से
निकल पड़े घर बार त्याग घनी रात्री में
गिरे विक्षिप्त हो कर एक अंधेरे कूएं में
बचाया स्वयं राम ने आकर
तभी लिखी गई थी रामचरितमानस
आराधना में लीन हुये सभी भक्त गण
घर-घर में होता है रामायण का पाठ
तन्मय होकर सुनते है हम और आप |
'मुश्किल में है बेटियाँ' कविता संग्रह में से |
बहुत सुन्दर... सावित्री जी आप को य्हाँ देख कर बहुत अच्छा लगा...
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