शनिवार, 9 अगस्त 2014

"रक्षा बंधन का त्यौहार "


"रक्षा बंधन का त्यौहार "
रक्षा बंधन का त्यौहार ,भाई बहन के स्नेह का आधार |
धागा तो है केवल सूत्रधार ,पर बंधन जीवन का अनुपम उपहार |
बारह वर्ष तक रहा देवासुर संग्राम ,सभी देव थे त्रस्त और हैरान |
सबने सोचा करना होगा अब प्रयाण, ऐसा था उनका अदभुत अभियान
गया इन्द्र तब बृहस्पति जी के पास |बोला गुरु देव कुछ करो प्रयास |
कैसे होगा दुष्ट राक्षसों का विनाश ,स्वर्ग लोक की रक्षा का दिलाओ विश्वास |
इन्द्राणी ने सुनी जब विपत्ति की गाथा ,घूम गया उनका भी माथा |
बोली प्रियतम चलो आप मेरे साथ ,छू नहीं सकेगा शत्रु आपका गात |
श्रावणी पर्व पर ब्राह्मणो को खूब दान दिया ,विजय हेतु स्वस्ति वाचन का पाठ किया |
रक्षा तंतु बांधा जब इंद्र के हाथ , वज्र सी कठोर बन गई इंद्र की गात |
पाई इंद्र ने विजय श्री किया राक्षसों का सर्व नाश ,इन्द्राणी के सूत्र पर हुवा सबका विश्वास |
तीन धागों से गुंफित यह पर्व विषेश ,देता भाई बहनो के स्नेह का सन्देश |
श्रावणी पर्व की महिमा महान ,सूत्र की शक्ति को जानता है सारा जहान |
भाई की इसमें आन बान और शान ,बहिन भी करती है अपने भाई पर गुमान |
श्रावण मास का यह प्रथम पर्व ,लाता है जीवन में उतकर्ष |
खूब छख कर मिस्ठान विविध ,परस्पर सभी देते है उपहार सहर्ष |
सबका यह पवित्र त्यौहार ,सभी मनाते इसे विशेष सत्कार |
भाई बहिन का देख प्रेमपूर्ण व्यहार ,हो जाता है प्रसन्न सारा परिवार |
इस पवित्र बंधन के पर्व पर ,बहिन को भाई देता है प्रेम पूर्ण वचन |
करेगा वह बहिन की रक्षा आजीवन ,सुन कर सजल हो जाते है बहन के नयन |
पन्ना व कर्मवती की कहानी ,याद है आज भी सबको ज़बानी |
मुग़लों की नहीं चलने दी थी मनमानी ,राखी भेजी थी दोनों ने वे थी सायानी |
मुग़ल भी जानते थे राखी का महत्व ,जंहागीर भी आया था बचाने राज़पूतानी का सतीत्व |
रक्षा सूत्र बना था बड़ा आदर्श व विशिष्ट ,इस बंधन की कहानी सुनी जाती है आज भी सर्वत्र |
मुग़ल  ने जब पन्ना की राखी पाई ,तो मुग़लों की सेना मुगलों पर ही चढ़ आई |
राजपूतों को उन्होंने विजयश्री दिलवाई ,मुगलों ने भी राखी की महिमा सबको बताई |
 हुमायूँ भी कर्मवती की रक्षा को आया ,उसने भी राखी का धर्म निभाया |
राखी का उत्सव सबको है भाया ,सबने राखी के महत्त्व को समझा और समझाया |



1 टिप्पणी :