"रक्षा बंधन का
त्यौहार "
रक्षा बंधन का
त्यौहार ,भाई बहन के स्नेह का आधार
|
धागा तो है केवल
सूत्रधार ,पर बंधन जीवन का अनुपम
उपहार |
बारह वर्ष तक रहा
देवासुर संग्राम ,सभी देव थे
त्रस्त और हैरान |
सबने सोचा करना
होगा अब प्रयाण, ऐसा था उनका
अदभुत अभियान
गया इन्द्र तब
बृहस्पति जी के पास |बोला गुरु देव
कुछ करो प्रयास |
कैसे होगा दुष्ट
राक्षसों का विनाश ,स्वर्ग लोक की
रक्षा का दिलाओ विश्वास |
इन्द्राणी ने
सुनी जब विपत्ति की गाथा ,घूम गया उनका भी
माथा |
बोली प्रियतम चलो
आप मेरे साथ ,छू नहीं सकेगा
शत्रु आपका गात |
श्रावणी पर्व पर
ब्राह्मणो को खूब दान दिया ,विजय हेतु
स्वस्ति वाचन का पाठ किया |
रक्षा तंतु बांधा
जब इंद्र के हाथ , वज्र सी कठोर बन
गई इंद्र की गात |
पाई इंद्र ने
विजय श्री किया राक्षसों का सर्व नाश ,इन्द्राणी के सूत्र पर हुवा सबका विश्वास |
तीन धागों से
गुंफित यह पर्व विषेश ,देता भाई बहनो के
स्नेह का सन्देश |
श्रावणी पर्व की
महिमा महान ,सूत्र की शक्ति
को जानता है सारा जहान |
भाई की इसमें आन
बान और शान ,बहिन भी करती है
अपने भाई पर गुमान |
श्रावण मास का यह
प्रथम पर्व ,लाता है जीवन में
उतकर्ष |
खूब छख कर मिस्ठान
विविध ,परस्पर सभी देते है उपहार
सहर्ष |
सबका यह पवित्र
त्यौहार ,सभी मनाते इसे विशेष
सत्कार |
भाई बहिन का देख
प्रेमपूर्ण व्यहार ,हो जाता है
प्रसन्न सारा परिवार |
इस पवित्र बंधन
के पर्व पर ,बहिन को भाई देता
है प्रेम पूर्ण वचन |
करेगा वह बहिन की
रक्षा आजीवन ,सुन कर सजल हो
जाते है बहन के नयन |
पन्ना व कर्मवती
की कहानी ,याद है आज भी सबको ज़बानी |
मुग़लों की नहीं
चलने दी थी मनमानी ,राखी भेजी थी
दोनों ने वे थी सायानी |
मुग़ल भी जानते थे
राखी का महत्व ,जंहागीर भी आया
था बचाने राज़पूतानी का सतीत्व |
रक्षा सूत्र बना
था बड़ा आदर्श व विशिष्ट ,इस बंधन की कहानी
सुनी जाती है आज भी सर्वत्र |
मुग़ल ने जब पन्ना की राखी पाई ,तो मुग़लों की सेना मुगलों पर ही चढ़ आई |
राजपूतों को
उन्होंने विजयश्री दिलवाई ,मुगलों ने भी
राखी की महिमा सबको बताई |
हुमायूँ भी कर्मवती की रक्षा को आया ,उसने भी राखी का धर्म निभाया |
राखी का उत्सव
सबको है भाया ,सबने राखी के
महत्त्व को समझा और समझाया |
रक्षा बंधन के महत्व को दर्शाते सार्थक और सुन्दर शब्द
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