भारत का
राष्ट्रीय पर्व है ,शहीदों की शहादत
पर हम सबको गर्व है |
आज के ही दिन
अर्ध रात्रि के बाद लाल किले पर नेहरू जी ने झंडा फहराया था |
देश वासियों को
स्वतंत्रता की घोषणा कर आने वाली समस्याओं से अगाह कराया था |
विभाजन का दंश
सबने भोगा झेला व सहलाया था |
भाई से भाई
बिछुड़गया था किसी को कुछ भी सूझ न पाया था |
ऐसी स्वतंत्रता
पाकर भी भारत कुछ कर नहीं पाया था |
यह तो नेताओं का
था षड्यंत्र ,डूब गया था
स्वतंत्र शासन तंत्र |
जनता को दिया जा
रहा था शांति व अमन का मन्त्र |
वे कर नहीं पा
रहे थे दीन दुखियों के दुःख दूर करने का यंत्र |
फिर भी भारतीयों
ने वह कठिन समय भी किसी तरह गुजारा |
विस्थापितों ने
उस परस्थिति में भी अपना जीवन नए सिरे से संवारा |
की गई थी
शरणार्थियों की शासन की ओर से पूरी मदद |
पहुंचाई जा रही
थी विस्थापितों यथा समय सरकारी रसद |
बड़े ही दुःखी व
संतप्त थे वे लोग जो करते थे पाकिस्तान में सुखों का भोग |
वे उस समय दाने
-दाने को हो रहे थे मोहताज |
पर घूम रहे थे
सिर पर रख कर नई-नई स्वतंत्रता का ताज
कैसा था वह
स्वतंत्रता देवी का आलम ,उन्हें नहीं मिल
पा रहा था सालन |
जगह -जगह दिखाना पड़ता था उनको चालान |
उनका जीना नहीं
था यहाँ आसान |
कैसी भगवन की
लीला थी |
झेल रही दुःख
अपनी ही शीला रोज़ी व् सलमा थी |
हम सबने स्वतंत्र
भारत की परिस्थितियां झेली |
फिर भरने लगे बड़े
बड़े नेता अपनी अपनी झोली |
शरणार्थी तो कड़ी
मेहनत करके बन गए है वैसे के वैसे |
पर मूल निवासी आज
भी रह गए है जैसे के तैसे |
स्वतंत्रता की
सड़सठवी शताब्दी मनाकर भी वे आज भी है मोहताज |
शहीदों के बच्चे
बेकारी बेरोजगारी से है ज़ार ज़ार |
भले ही देश
स्वतंत्रता से है आज आगाज़ |
आध्यात्मिक ज्ञान
से बन गया है दुनिया का सरताज |
पर गरीबी आज भी
दे रही है हमको आवाज़ |
कर दो स्वतंत्र
भारत में हमारा भी उद्धार |
आओ शहीदो को याद
करें उनकी कुर्बानियों से लोगो को आगाह करें |
जन मानस में
स्फूर्ति का संचार करें |
स्वतंत्रता देवी
को नतमस्तक होकर प्रणाम करें |
भले ही देश स्वतंत्रता से है आज आगाज़ |
जवाब देंहटाएंआध्यात्मिक ज्ञान से बन गया है दुनिया का सरताज |
पर गरीबी आज भी दे रही है हमको आवाज़ |
कर दो स्वतंत्र भारत में हमारा भी उद्धार |
67 साल से लालकिले से हमेशा यही आवाज़ आती रही है की हम गरीबी मिटा देंगे लेकिन न गरीबी हटी और न गरीब कम हुए ! हाँ , गरीबी को मापने के आंकड़े जरूर बदल जाते हैं ! सही और सार्थक शब्द
पर गरीबी आज भी दे रही है हमको आवाज़ |
जवाब देंहटाएंकर दो स्वतंत्र भारत में हमारा भी उद्धार |
you are right Yogi ....