बुधवार, 7 मई 2014

चुनाव

आजकल दल बदलुओं की है बहार 
सबको अपनी-अपनी बारी का है इन्तज़ार
कब कौन किससे हाथ मिलाने को तैयार 
भूल जाते है वे कब हुई थी उनकी तकरार 
प्रियंका ने पाई कांग्रेस में प्राथमिकता 
तो मेनका बनी भाजपा की सक्रिय कार्यकर्ता 
राहुल ने बेटे का फर्ज निभाया
तो वरुण भी मां का साथ निभाने आया 
देखो कैसी है यह लड़ाई 
देवताओं ने शुरू की इन्सानों ने निभाई 
फिर भी नहीं हो पाती उनकी भरपाई 
नेताओं ने कैसी रीति चलाई
पांच वर्ष तक चलेगा यह कार्यक्रम 
इसमे आयेंगे कई व्यतिक्रम 
सभी दल निभायेंगे अपना-अपना धर्म
यही होंगे उनके जीवन के सत्कर्म
जनता भी है हैरान व परेशान 
कब कैसे कहां करें इनका सम्मान 
ये तो बन जाते है गुलफ़ाम 
कैसे-कैसों को करना पड़ता है सलाम |
चुनाव से पूर्व निश्चित है अब दल 
कोई नहीं कर पायेगा फेर बदल 
भारत ने भी की पश्चिम की नक़ल 
देखें कितनी होगी भारत में सफल
चुनाओं में आते है कई पड़ाव उम्मीदवारों का करती जनता घेराव
कभी देते है उनको पूरा भाव कभी कर देते है उनका ठुकराव |
नव भारत बनाने  चले ये इन्सान 
इन्हे तो स्वयं नहीं ज्ञात अपने आयाम 
यह तो जनता ने दिया इन्हे मान सम्मान 
जिसका करते है ये गुमान ये कभी भी छोड़ सकते है ईमान
बन जाते है शैतान बेईमान जनता-जनार्दन के है ये भगवान
जो गाते है इनका गुणगान |

- सावित्री काला 'सवि' 

२००६ में प्रकाशित 'रिश्ता' कविता संग्रह में से..

2 टिप्‍पणियां :

  1. अच्छी खबर ली है इन नेताओं की ...
    सामयोक रचना ...

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  2. बहुत बढ़िया, इस कविता की प्रति भारत के सभी प्रमुख नेताओँ को भेजा जाए, शायद इन बेशर्मोँ को थोड़ी शर्म आ जाए।

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