शनिवार, 31 मई 2014

नारी दुर्दशा

नारी दुर्दशा की कहानी सुन सकोगे उसकी जुबानी |
कैसी की दरिन्दो ने उसके साथ हिंसक मनमानी ||
कर दिया उस मासूम की आत्मा को जार-जार |
क्या हो सकता था उसकी असहनीय पीड़ा का उपचार ||
वह भी किसी की बेटी थी बहिन थी, उसके भी थे जीने के कुछ अरमान |
जो हो गए एक शाम हब्शी दरिन्दो द्वारा नाकाम |
वह तो बन गई थी एक जीवित दर्द भरी लाश |
उसमे नहीं रह गई थी जीने की आस ||
उसकी दशा देख सुन कर उसकी पीड़ा का कर सकोगे जरा अनुमान |
अब केवल नारों जुलूसों से नहीं चलेगा काम |
ऐसी अमानुषिक दुर्घटनाओं की पुनः आवृति हो |
हम सबको कुछ सार्थक कार्य करना होगा ||
सबसे पहले महिलाओं की सुरक्षा हेतु संविधान में परिवर्तन करना होगा |
बलात्कारियों को कठोर से कठोर सजा दिलाने का प्रावधान रखना होगा |
वार्ना आधी आबादी के आक्रोश को रोकना अब संभव नहीं |
दोषियों को अधिक दिनों तक जीवित रखना भी ठीक नहीं ||
यह जन आंदोलन तो अब रोकने से भी नहीं रुक सकेगा |
दोषियों को तो दंड दिलाकर ही रहेगा |
अब तो विधि भी बलात्कारियों को फांसी दिने से रोक सकेगी |
किसी भी तरह का बहाना बनाकर उन पापियों को बचा सकेगी ||
यह आन्दोलन अब संपूर्ण देश में क्रांति का रुप ले चुका हैं |
मृत्यु दंड की धारा भी अब तो पार कर ही चुका है |
अब कोई भी अपराध करने से डरेगा ही डरेगा |

बलात्कारी तो समाज में जीवित नहीं बच सकेगा ||

बुधवार, 28 मई 2014

मोदी जी

मोदी जी
Picture of Shri.Narendra Modi


अबकी बार मोदी सरकार
यह सपना हो गया साकार
अब  होगा दलितों का उद्धार
माँ बहनो का होगा सत्कार  |

यही है मोदी जी का विचार
सबको मिलेगा अपना अधिकार
फरियादी की फ़रियाद नहीं होगी बेकार
उसका भी होगा उचित उपचार |

मोदी जी का नारा है
भारत को सर्वश्रेठ बनाना है
अपने को देश हित में समर्पित करना है
देश को प्रगति व् विकास की ओऱ बढ़ाना है  |

चल पड़े देश भक्त देश सेवा का लेकर संकल्प
जिसका नही है कोई विकल्प
इसी भावना से देश चलाना है
घर घर में खुशहाली लाना है  |

सवा करोड़ लोगो का है यह सपना
मोदी जी में दिख रहा है सबको अपनों में अपना
उनके निर्देशन में देश प्रगति  की ओऱ बढ़ेगा
सबके सपने भी साकार करेगा |

सविंधान की पवित्रता को कायम रखना है
विश्व को सही लोकतंत्र बना कर दिखाना है
मोदी जी के राज्य में सबकी पूरी होंगी आशा
यही है हम सबकी अभिलाषा |

मोदी जी कहते है सदा सोच समझ कर बात
नहीं करते किसी पर अनर्गल घात प्रतिघात
विपक्षी बनाते रहे तरह तरह की बात

मिल गई उनको अपने कथनो की सौगात |

मंगलवार, 20 मई 2014

इश्क़

ज़माने भर की तमाम मुश्किलें साथ-साथ लिये चलते हैं,
इश्क़ के दीवाने बस यही काम ही तो करते हैं,
कभी तपती चट्टानों पे भी सिर पटकते हैं,
कभी-कभी तो लिबास की तरह हुस्न बदलते हैं |

                             इश्क़ ने सताया हुस्न ने जी भर के रुलाया
                             पूछो आशिक से उसने जिंदगी में क्या पाया
                             कोई तो छोड़ जाते हैं अधर में जीवन के,
                             पूछो जाकर उन इश्क़ के दीवानों से |

वह तो उसे गुनगुना भी नहीं सकता,
उसका नाम होठों पर ला भी नहीं सकता,
कैसे सुन्दर गीत बनाये थे उसके लिये,
कैसा समय आया उनको गा भी नहीं सकता |

                             कौन कहता ही कि मोहब्बत कि जुबां होती है,
                             यह तो वह हकीकत हैं कि नजरों से बयां होती है,
                             कोई भी चाहे कुछ भी कहे या समझे,
                             आशिक की जिन्दगी तो यूं ही फ़ना होती है |

ग़ालिब ने भी हुस्न के लिये दुआ की थी,
हम भी उसकी मोहब्बत की कसमें कहते हैं,
जब तड़पते हैं दिन रात उनके लिए,
फिर भी न जाने क्यों उनसे ही इश्क़ की दवा मांगते हैं |


रविवार, 11 मई 2014

वोट - चुनाव २०१४

आओ हम भी अपनी किस्मत अजमायें 
अब की बार चुनाव में खड़े हो जायें |
टोपी बदलकर किस दल की सदस्यता अपनायें
ताकि अधिक से अधिक वोट पा जायें |
राहुल और मोदीजी में जंग छिड़ी है 
दोनों के पीछे जनता झंडे लेकर खड़ी है |
पर आरोप प्रत्यारोपों की भी लगी झड़ी है 
कौन जीतेगा समस्या बहुत बड़ी है |
जनता अपना रुख दिखा रही है 
न जाने क्या क्या मनसूबे मना रही है |
कौन किसके साथ है नहीं पता है 
कब दल छोड़ जाय नहीं जान सका है |
आज किसी पर भी विश्वास नहीं है 
जीतने की किसी के भी मन में पूरी आस नहीं है |
तभी तो एक दुसरे को नीचा दिखाने में लगे है 
बस अनर्गल बातें ही एक दूसरे के लिए कह रहे है |
सभी चुनाव की लहर में बहे जा रहे है 
अपने अपनों को भी अजमा रहे है |
कुछ निर्दलीय भी चुनाव में खड़े है
न जाने वे क्यों पैसा बर्बाद कर रहे है | 
मोदी लालू मुलायम व माया की धूम मची है 
उधर प्रियंका राहुल व सोनिया मोर्चो पर डटी है |
केजरीवाल ने यूकेडी से हाथ मिला लिया है 
अब उसके पास ईमानदारी से कुछ कहने को नहीं रह गया है |
हम किस सशक्त दल की सदस्यता अपनायें 
किस खेमें में जाकर अपनी कुंडली पढ़वायें |
किस पंडित ओला ओझा से शुभ समय निकलवायें 
ताकि हम भी उम्मीदवार बन अपनी किस्मत अजमायें |
चुनाव में उम्मीदवारी पाना आसान नहीं है
यह हम जैसे बुद्धिजीविओं का काम नहीं है |
हम इस भ्रष्ट तंत्र से नहीं भिड़ पायेंगे
अपनी रोजी रोटी से भी हाथ धो जायेंगे |
हम तो बस ईमानदार को ही वोट देने जायेंगे 
पर अपना अधिकार नहीं छोड़ पायेंगे |
माफियों को अपना कीमती वोट देकर नहीं आयेंगे
चाहे कुछ भी हो अपना वोट नहीं गवायेंगे ||




-सावित्री काला 'सवि' 

बुधवार, 7 मई 2014

चुनाव

आजकल दल बदलुओं की है बहार 
सबको अपनी-अपनी बारी का है इन्तज़ार
कब कौन किससे हाथ मिलाने को तैयार 
भूल जाते है वे कब हुई थी उनकी तकरार 
प्रियंका ने पाई कांग्रेस में प्राथमिकता 
तो मेनका बनी भाजपा की सक्रिय कार्यकर्ता 
राहुल ने बेटे का फर्ज निभाया
तो वरुण भी मां का साथ निभाने आया 
देखो कैसी है यह लड़ाई 
देवताओं ने शुरू की इन्सानों ने निभाई 
फिर भी नहीं हो पाती उनकी भरपाई 
नेताओं ने कैसी रीति चलाई
पांच वर्ष तक चलेगा यह कार्यक्रम 
इसमे आयेंगे कई व्यतिक्रम 
सभी दल निभायेंगे अपना-अपना धर्म
यही होंगे उनके जीवन के सत्कर्म
जनता भी है हैरान व परेशान 
कब कैसे कहां करें इनका सम्मान 
ये तो बन जाते है गुलफ़ाम 
कैसे-कैसों को करना पड़ता है सलाम |
चुनाव से पूर्व निश्चित है अब दल 
कोई नहीं कर पायेगा फेर बदल 
भारत ने भी की पश्चिम की नक़ल 
देखें कितनी होगी भारत में सफल
चुनाओं में आते है कई पड़ाव उम्मीदवारों का करती जनता घेराव
कभी देते है उनको पूरा भाव कभी कर देते है उनका ठुकराव |
नव भारत बनाने  चले ये इन्सान 
इन्हे तो स्वयं नहीं ज्ञात अपने आयाम 
यह तो जनता ने दिया इन्हे मान सम्मान 
जिसका करते है ये गुमान ये कभी भी छोड़ सकते है ईमान
बन जाते है शैतान बेईमान जनता-जनार्दन के है ये भगवान
जो गाते है इनका गुणगान |

- सावित्री काला 'सवि' 

२००६ में प्रकाशित 'रिश्ता' कविता संग्रह में से..

गुरुवार, 1 मई 2014

लोकतंत्र

मई दिवस पर विश्व भर के मजदूरों किसानों शोषितों को सादर समर्पित...

लोकतंत्र 

लोक तंत्र की हैं परिभाषा सबकी पूरी होगी आशा 
रोटी कपड़ा और मकान सबको मिले अधिकार समान
यही लोकतंत्र अभियान देते अपनी-अपनी बारी
लोकतंत्र अभियान रहेगा जारी, यही है हमारी जिम्मेदारी 
जनगण की रक्षा करना, मजदूरों की झोली भरना 
बच्चे बूढ़ों का सम्मान यही है लोकतंत्र अभियान 
अपना हक़ लो दूसरों का हक़ दो 
निर्णय नीति नियोजन सबमें
जन-जन की हो भागीदारी, लोकतंत्र  अभियान रहेगा जारी 
जो बीत गया सो बीत गया, सही लोकतंत्र की अब है तैयारी
धन संसाधन नीति नियोजन सबमें 
सबकी होगी अब साझीदारी 
न्याय मिलेगा जन-जन को समाज और राजनीति में 
हर जन होगा अधिकारी निभायेगा अपनी जिम्मेदारी
शोषित वंचित और किसान 
सबकी होगी अपनी-अपनी हिस्सेदारी 
जय जवान और जय किसान के नारों से गूंजेगी 
अब पृथ्वी सारी
जनता के हाथों में सत्ता दो, वे ठीक करेंगे व्यवस्था को
जब तक न मिलेगा न्याय सबको यह अभियान रहेगा जारी 
लोकतंत्र को चलाने की अब हमारी है बारी 
लोकतंत्र अभियान रहेगा जारी |

२००६ में प्रकाशित 'रिश्ता' काव्यसंग्रह में से