गुरुवार, 13 नवंबर 2014

पंडित जवाहर लाल नेहरू


आज पावन पर्व मनाएं ,नेहरू जी की यादों को सहलाएं |
मोती  के घर जन्म लिया ,सोने के चम्मच से दूध पिया |
पढ़ने के लिए भेजेगए थे विदेश ,पर नहीं भूले कभी भी वे  स्वदेश |
गुरुओं  का सदा वे मानते थे वे आदेश |
पिता को रहा सदा ही विद्रोही होने का अंदेश |
विदेश से शिक्षा प्राप्त कर के  जब वे लौटे घर |
देश की दुर्दशा देख हुवा उन पर बड़ा असर |
तब वे गांधी जी के संपर्क में आये |
उनके वे सबसे प्रिय शिष्य कहलाये |
१५ अगस्त को उन्होंने लाल किले पर तिरंगा पहराया |
देश वासियों को आजादी का अर्थ भी समझाया |
सबने मिल कर जन गण मन का गीत गया |
विश्व के साथ साथ चलो मार्ग दिखलाया |
देश की बागडोर अपने सशक्त हाथों में संभाली |
तभी विकास और प्रगति की गति भी आगे बढ़ाली |
बड़े बड़े बांधो का निर्माण कराया |
विदेशी ताकतों से भी हाथ मिलाया |
विश्व भी मानता था नेहरू जी की शक्ति |
सर्वत्र फैल रही थी भारत की प्रशस्ति |
पर चला   न पाये जीवन में वे अपनी गृहस्थी  |
छोड़ गयी पत्नी कमला जी जो थी एक सती साध्वी |
उन्होंने सुकर्णो तथा टीटो से भी हाथ मिलाया |
विश्व शांति का उनको सन्देश भिजवाया |
पंचशील का देकर विश्व को नारा |
दूर किया फैला वर्ग भेद सारा
भाखड़ा नांगलं बांधों को आपने तीर्थस्थल बतलाया |
उनको ही नमन करने का सबको सबक सिखलाया |
बेकारी बेरोज़गारी दूर करने का किया बहुत यत्न
करते रहे सदा देश के विकास व प्रगति के लिए प्रयत्न |
आज पूरा देश कर रहा है नेहरू जी का गुणगान |
वे थे भारत देश के सपूत महान |
आपने ही किया था नव युग का निर्माण |
हे युग पुत्र आपको हमसबका शत शत प्रणाम |
हे भारत के रत्न जवाहर आपने किया वंश उद्धार |
कृतज्ञ  भारत सदा याद रखेगा आपके अमूल्य विचार |
चल रही आज भी  आपके बनाये उसूलो पर ही सरकार |
आपको नमन हे भारत के कर्णधार
पंचशील ही है आज विश्व का आधार
वार्ना  तृतीय विश्व युद्ध कभी का ले लेता आकर |
यद्यपि सभी के नहीं मिल पाते है विचार |

आज भी चल रहा है विश्व में शीत युद्ध का बाजार ||

मंगलवार, 28 अक्तूबर 2014

वृद्धो को इक आशियाना चाहिए

वृद्धो को इक आशियाना चाहिए "
सकून से जीने का आसरा चाहिए |
भूली बिसरी यादोँ को याद करने का बहाना चाहिए |
अपने जीवन की उपलब्धियों को गिनाने का मकराना चाहिए |
जिंदगी किसी के रोके नहीं रूकती ,गुजरती रहती है |
यह तो अपना कारवां खुद ही बनाती रहती है |
कोई जिंदगी को नजाने क्या समझ कर जीता है |
जिंदगी से नजाने क्या क्या उम्मीदे रखता है |
यह तो जिंदगी का पड़ाव है जो समय के साथ साथ चलता रहता है |
इससे किसी को भी घबराना नहीं चहिये यह किसी के लिए नहीं रुकता है |
जीवन में सारी आंकांक्षाएपूर्ण नहीं हो पाती|

घुट घुट कर जीने से जिंदगी की मुश्किलें आसान नहीं होती |

सोमवार, 20 अक्तूबर 2014

महगांई

अमावस की रात  घनेरी ,उस पर महगांई बनी है चेरी |
सारे अरमान धरे रह गए ,हम सारा बाजार घूम कर वापस आ गए |
कैसे हम त्यौहार मनाये ,बच्चो की इछा हम कैसे पूरी कर पाये
उन्हें नए कपडे  व खिलोने कैसे दिलवाए ,रूठी बीबी को कैसे मनाये |
महगाई ने हम सबको घेरा ,चारो तरफ दिख रहा है अँधेरा |
रसोई में पडगया है डाका ,हम घर में बैठे है, हो कर फाका |
फल फूल मिठाई कैसे लाए ,मेहमानो का स्वागत कैसे कर पाये |
अपनी व्यथा किसे जा कर सुनाये ,घरवाली को कैसे मनाये |
हम तो उसे करवा चौथ पर साड़ी भी नहीं दिल पाये |
अब धन तेरस पर नए बर्तन कैसे खरीदपाये |
बेटी ससुराल गई है भाई दूज के इंतजार में खड़ी है |
क्या उपहार दे कर भाई को उसके पास भिजवाये |
कैसा जमाना हमने भी देखा था ,त्योहारो पर चढ़ता रंग चोखा था |
दस दिन तक हम सब त्यौहार मानते थे ,खूब पकवान बनाते व खाते व खिलाते थे |
अब तो घर में आने से भी डर  लगता है ,अपनी नामर्दी पर जग हँसता है |
इस महगाई में कोई कैसे त्यौहार मनाये ,लक्ष्मी जी का कैसे सत्कार कर पाये |
जनता तो सदा से ही पिसती चली आ रही है ,रोते गाते ही त्यौहार मना रही है
  

जलाओ दिए

                   
जलाओ दिए पर रहे ध्यान  इतना ,किसी के भी घर में अँधेरा रह न पाये |
सभी के दिलो में रहे रौशनी घरो में सभी के बढ़े सदा ख़ुशी नई नई |
उजाला करो तुम जहाँ जिस तरफ ,उसी रौशनी में जिए जिंदगी |
बढ़ते रहो तुम डगर लौ की लेकर ,जो कराये तुम्हे जिंदगी का सुहाना सफर |
दिलों में सभी के पनपती रहे रौशनी ,उसी रौशनी में थिरकती रहे जिंदगी |
उजालों को पाकर सदा सँवरती रहे ,सबके मनो की इच्छा फलती रहे |
उजालों की रौशनी में बढ़ती रहे ,खुश नुमा जिंदगी यूँही गुरजती रहे |
मन की तरंगो को मिले रास्ता ,उजालों को पाकर तय करे फासला |
उजालों से भंडार भरते रहे ,अपनी अपनी इच्छाएँ भी पूरी करते रहे |
बदलेंगे हम सब मिलकर पुरानी धारणाये ,तभी पूर्ण होंगी सभी कामनायें |
दूर हो जाएँगी जीवन की सभी वर्जनाएं ,यही है हमारे दिलों की भावनायें |
सोची है हमने सबकी भलाई ,हमारे दिलों में सदा से रही है सच्चाई |
मत करो उजालों से तुम बेवफाई ,जीवन में ये ही हैं तुम्हारे सच्चे सहाई |
सदा अंधेरों के बाद ही होता है सबेरा ,तभी बस पाता   है जीवन का बसेरा |
कभी भी तुम अंधेरों से मत घबराओ ,जरा देर अंधेरो में भी अपने को रख पाओ |
तभी हो पायेगा तुम्हारा जीवन सार्थक ,यही पहुचायेगा तुम्हे तुम्हारी मंजिल तक |
अगर तुम अंधेरो से रहोगे दूर दूर ,तो जीवन में कैसे पा सकोगे उजालों का सरूर |
उजालों को पाकर कभी मदहोश न होना ,संभल कर ही रहना अपने होश न खोना |
वार्ना उजाले भी अँधरो में बदल जायेंगे ,दिलों की धड़कन भी साथ ले जायेंगे |
राहे कठिन जरूर है पर तुम मत घबराना ,उजालों के संग संग ही आगे ही आगे बढ़ते रहना |
तभी सवाँर पाओगे तुम अपने जीवन की आशा ,समझेंगे सब तुम्हारे मन की भाषा |
दूर कर पाओगे अपने मन की निराशाजला कर दिए पूर्ण होंगी तुम्हारी सारी अभिलाषा |
सवारों उजालों से अपनी जिंदगानी ,पतझर में भी लहलहाएगी तुम्हारी जिंदगानी |
उजालों के बिना नहीं आ पाती है जीवन में कभी बहार ,जिंदगी भर करते रहोगे ख़ुशी का इंतजार |
कवि कहता है जलाओ दिए तुम सदा जिंदगी में ,उजाला ही उजाला रहेगा सरजमी में |

बुधवार, 15 अक्तूबर 2014

पत्थर के भगवान

पत्थर के भगवान तुम्हे शत शत प्रणाम |
तुमने अहिल्या तारी ,द्रोपदी की लाज बचाई |
कुंती तो बिनब्याही माता कहलाई |
तारा को सन्नारी की पदवी  दिलवाई  
मंदोदरी को तुमने कुवांरीकन्या के रूप मेही |
रावणके सौ पुत्रो   की माता बनाई  |
तुमने कैसे इन नारियो को सन्नारियो को |
कुवारी माता के रूप में स्थान दिलाया  |
तुम धन्य हो भगवान कैसे किये तुमने |
विश्व में इतने चमत्कारिक काम   |
पूरा संसार तुम्हारी  सत्ता मानता   है |
तुम्हारे बिना पत्ता तक नहीं हिल पाता है |
हे चतुर भुजी भगवान तुमको शत शत प्रणाम |
आज  भी नारियाँ कर रही तुमसे गुहार |
करो प्रभु उनके जीवन का उद्धार |
वे झेल रही है नर पिशाचों के अनाचार |
कैसे होगा उन सताई हुई नारियो का बेडा पार

करो प्रभु कुछ तो उपचार  वे पुकार रही है आपको बार बार |

गुरुवार, 2 अक्तूबर 2014

पूज्य बापू


बापू तुम्हें गोडसे  ने नहीं मारा ,तुम्हे तो तुम्हारे अपनों ने ही मारा है |
किया बेसमय पूरे देशको बेसहरा है ,तुम्हारे अरमानो की लाश तो |
आज भी मिलती रोज रोज गलियो तथा चौबारा है |
झूठ कहते है लोग कि तुम्हे गोडसे ने मारा है |
अहिंसा के पुजारी को हिंसा के तांडवो ने मारा है |
हरि जनों के प्यारे को जाति भेद व छुआछूत ने मारा है |
शांति का सन्देश देने वाले तुम्हारे अपनों ने मारा है |
सफ़ेद कबूतर उडाने वालो ने ही तुम्हे सरे शाम मारा है |
सफ़ेद टोपी ओढे इन सफेद पोशो ने मारा है |
तुम्हे एक बार नहीं हजार बार मारा है |
तुम्हारे दिए विचारो तथा संस्कारो ने मारा है |
तुम्हारे उसूलो को सरे आम नकारा है |
सीधे चलने वाले राहगीरों को तुम्हारे चाहगीरों ने मारा है |
प्यारे बापू बस एक बार यहाँ आजाओ |
आप भी अपनी ही शव यात्रा में शामिल हो जाओ |
जो करीब करीब रोज निकलती है सरे बाजार |
कहलाती है रिश्वत खोरी कालाबाजारी और भ्रष्टाचार |
आओ बापू बस आकर   देख जाओ एक बार|
कितनी फैली है यहाँ बेकारी ,बेचारी ,व् बेरोज़गारी |
कुटीर उद्योग की तो सारी योजनाये कर दी इन्होने बेकार |
तुम्हारे अपने ही नहीं कर पाये तुम्हारे सपने साकार|
ये सफेद टोपी वाले तुम्हारे ही नाम की खाते है |
तुम्हारे बनाये हरिजन आज भी तुम्हारे ही गुण गाते है |
तभी तो वे अब तक सरकार द्वारा पूरा आरक्षण पाते है |
सवर्ग वालो के बच्चे सरकारी नौकरियों में स्थान नहीं पा सकते है |
कैसी आपके अनुयाईओ  की कार गुजारी है |
आप तो अहिंसा के पुजारी रहे जीवन भर |
पर ये तो लेते रहते है सदा आपके ही नाम की सुपारी है |
गांधी के कंधोपर  करते रहते है सदा सवारी है |
गांधी जी आप तो अब आंधी बन गए |
सवर्णो के लिए तो व्याधि बन गए |
आकर देख जाओ अपने प्यारे भारत की दशा |
कैसा छाया है इन पर आपके उसूलो का नशा |
तुम्हारे चहेतो ने बड़ी बड़ी उपाधियाँ आपके नाम से पाई है |
तुम्हारे विश्वास व आशा की चिता जलाई है |
सारी उपल्बधियाँ अपने ही खाते में गिनाई है |
ये सदा करते रहते है अपनी ही भरपाई है |
आपने जो दिया था  श्रम जीवी का नारा |
ये लोग नहीं समझे आपका इशारा |
अब तो पा लिया है इनलोगो ने अपना आकाश सारा |
अब नहीं कहते इनको कोई भी बेचारा |
बापू कहते थे मेरे सपनो का भारत महान |
बनेगा वह विश्व की शान आज पूरे होते दिख रहे है उनके अरमान |
वर्तमान सरकार रखेगी उनकी इच्छा का मान |
फिर भी बापू एक बार तो आ ही जाओ |
इस वर्ग भेद की भयंकर दीवार को तो मिटा ही जाओ |
विश्व को एकात्म वाद का पाठ पढ़ा जाओ |
अब तो आ ही जाओ बस एक बार आ जाओ |

शुक्रवार, 5 सितंबर 2014

शिक्षक

                       
हम शिक्षक हैं सबको राह दिखाते हैं ,पर स्वयं राह क्यों भूल जाते हैं |
हमारा भी कभी हुकुम चलता था ,जब गुरुकुल हुवा करता था |
आज क्या हो गई हैं शिक्षक की दशा ,उससे तो अविभावकों को नहीं हैं कोई आशा |
आज के शिक्षक तो तो पाठ्यक्रम भी पूरा नहीं करा पाते हैं |
बस टूशन पढ़ने के लिए अपने घर में बुलाते रहते हैं
 क्या होगा इस भारत देश का ,हमारे इस शैक्षिक परिवेश का |
जहाँ गुरुओं की ही महिमा गाई जाती थी ,पर आज नहीं रह  गई वैसी थाती |
आज शिक्षक भी अपने को बड़ा असहाय सा समझता हैं |
अपनी लाचारी भी तो किसी से कह भी नहीं पता हैं |
क्या आपने किसी शिक्षक की आप बीती सुनी हैं |
यद्यपि शिक्षक तू  महान हैं ,सम्पूर्ण गुंणो की खान हैं |
जो शिक्षक जीवन में करता हैं संघर्ष , वही बन पाता हैं छात्रों का आदर्श |
तुम ही तो हो छात्रों के एक मात्र मार्ग दर्शक |
मत देखो छात्रों की दशा बन मूक दर्शक |
तुम्हारे ऊपर तो देश की जिम्मेदारी हैं |
समाज को बनाने व संवारने की तुम्हारी भी तो बारी हैं|
छात्रों को योग्य बनाने की भी करनी तुमने तैयारी हैं |
तुम्हारी ही ओर देख रही दुनिया सारी हैं |
आओ आगे बढ़ कर अपना कर्तव्य करो पूरा |
तभी हो पायेगा देश का काम पूरा
तुम्हारी ओर देख रहा जग सारा |
आने वाले भविष्य के तुम हो निर्माता |
शिक्षक ही नहीं तुम तो हो छात्रों के भाग्य विधाता |
                            

बुधवार, 3 सितंबर 2014

हिंदी

                         
हिंदी है भारत की भाषा ,हम सबके जीवन की आशा |
सब भाषाओँ की यह जननी ,पूरी करती है सबकी अभिलाषा |
यह तो गरिमामय पूर्ण ,दैवीय आभा से परिपूर्ण |
सभी भाषाएँ इसके बिना अपूर्ण ,यही तो है अपने में समूर्ण |
सभी समझते है इसका अर्थ ,नहीं करते अपना समय व्यर्थ |
सूर और तुलसी की बानी ,हमारी हिंदी है गुणो की खानी |
गुणी करते इसका गुणगान ,हिंदी  हैहमारे   राष्ट्र की शान
पूरे होते सबके अरमान ,दिलाते सबको सामान सम्मान |
हिंदी भाषा में है गहराई ,लिखते कवि इसमें रुबाई |
लेखको की इसमें सच्चाई ,करते है कवि हिंदी में खूब कविताई |
हिंदी भारत देश का सम्मान है ,हम सब भारतीयों का अभिमान है |
यही  हमारा स्वाभिमान है यही हमारी आन बान और शान है |

इस भाषा में भारतेंदु जी ने लिखना सिखलाया |
चन्द्रकान्ता संतति ने पढ़ना बतलाया |
इसे सूर और तुलसी ने अपनाया ,विद्यापति ने सबको समझाया |
मीरा और कबीर ने इस भाषा में गाया, जन जन तक अपना सन्देश पहुँचाया |
गुरु की महिमा को बतलाया ,मानव को गोविन्द तक पहुँचाया |
यह भाषा जीना सिखलाती ,सबके मन को है यह भाती |
सब भाषाएँ है इसकी ही जाती ,हिंदी है हम सबकी थाती |
हिंदी में तुलसी ने की सेवकाई ,कबीर ने की है गुरुआई |
विद्यापति की है यह पुरवाई ,चंदरबरदाई की इसमें गहराई |
हिंदी भाषा में  भूषण का है ओज़ जयशंकर का है जयघोष |
दिनकर जी का अप्रतिम ओज़ ,निराला जी का प्राकृतिक सोच |
गुप्त जी ने दर्शाई महिलाओं की दशा ,महादेवी जी ने लिखी नारी की व्यथा |
सुभद्रा जी ने सुनाई रानी झाँसी की कथा ,दर्शाई कवियों ने समाज की व्यवस्था |
आओ हिंदी के गुण गाये ,उसे उचाईयों तक पहुंचाए |
अपनी भाषा को समृद्ध बनाये ,उसे सरकारी काम काज में लाएं |
हम राष्ट्र गान हिंदी में गाते ,राष्ट्रीय पर्वो पर तिरंगा लहराते |
जन जन में स्फूर्ति भर लाते ,हिंदी का सब मान बढ़ाते  |
हिंदी सब प्रांतो में है बोली जाती , दशहरादीवाली ,होली गाती |
जन मानस में चेतना भर जाती ,बड़ी सरलता से सबको समझ में आती |
आओ हिंदी को हम राज काज में अपनाएं, इसे विश्व में सम्मान दिलाएं |
हिंदी में विश्व भर के साहित्य का अनुवाद कराये |
अच्छे अच्छे ग्रंथो को पढ़ने व लिखने के प्रति लोगो की रूचि जगाएं |
हम सब हिंदी में ही बोलें ,अपने मन की कुंठा खोलें |
भाषाओ के बैर भाव से रहे दूर ,तभी होगी हमारी हिंदी विश्व में मशहूर |
हिंदी के प्रति प्रेम दिखाएँ अपनी अपनी बोली को भी अपनाये |
लेखन की प्रतिभा दर्शाए आओ अपनी हिंदी को विश्व की भाषा बनाएं |
हिंदी भारत में राजभाषा कहलाती ,सभी भाषाओ की पुस्तको का अनुवाद कराती |
इसका नहीं किसी भी भाषा से बैर , दक्षिण की भाषाएँ नहीं है हिंदी के लिए गैर |
आओ हिंदी की जय बोलें ,इस भाषा को मन से तोले |
अपनी मातृ भाषा की महत्ता को पहिचाने ,हम सब हिंदी के गुण को जाने |
कवि लेखकों व साहित्यकारों को सम्मान दिलाये ,हिंदी पखवाड़ा मनाएं |
हिंदी में बोलेंगे जब सब शुद्ध ,साहित्य होगा विश्व में प्रसिद्ध व समृद्ध |