गुरुवार, 2 अक्तूबर 2014

पूज्य बापू


बापू तुम्हें गोडसे  ने नहीं मारा ,तुम्हे तो तुम्हारे अपनों ने ही मारा है |
किया बेसमय पूरे देशको बेसहरा है ,तुम्हारे अरमानो की लाश तो |
आज भी मिलती रोज रोज गलियो तथा चौबारा है |
झूठ कहते है लोग कि तुम्हे गोडसे ने मारा है |
अहिंसा के पुजारी को हिंसा के तांडवो ने मारा है |
हरि जनों के प्यारे को जाति भेद व छुआछूत ने मारा है |
शांति का सन्देश देने वाले तुम्हारे अपनों ने मारा है |
सफ़ेद कबूतर उडाने वालो ने ही तुम्हे सरे शाम मारा है |
सफ़ेद टोपी ओढे इन सफेद पोशो ने मारा है |
तुम्हे एक बार नहीं हजार बार मारा है |
तुम्हारे दिए विचारो तथा संस्कारो ने मारा है |
तुम्हारे उसूलो को सरे आम नकारा है |
सीधे चलने वाले राहगीरों को तुम्हारे चाहगीरों ने मारा है |
प्यारे बापू बस एक बार यहाँ आजाओ |
आप भी अपनी ही शव यात्रा में शामिल हो जाओ |
जो करीब करीब रोज निकलती है सरे बाजार |
कहलाती है रिश्वत खोरी कालाबाजारी और भ्रष्टाचार |
आओ बापू बस आकर   देख जाओ एक बार|
कितनी फैली है यहाँ बेकारी ,बेचारी ,व् बेरोज़गारी |
कुटीर उद्योग की तो सारी योजनाये कर दी इन्होने बेकार |
तुम्हारे अपने ही नहीं कर पाये तुम्हारे सपने साकार|
ये सफेद टोपी वाले तुम्हारे ही नाम की खाते है |
तुम्हारे बनाये हरिजन आज भी तुम्हारे ही गुण गाते है |
तभी तो वे अब तक सरकार द्वारा पूरा आरक्षण पाते है |
सवर्ग वालो के बच्चे सरकारी नौकरियों में स्थान नहीं पा सकते है |
कैसी आपके अनुयाईओ  की कार गुजारी है |
आप तो अहिंसा के पुजारी रहे जीवन भर |
पर ये तो लेते रहते है सदा आपके ही नाम की सुपारी है |
गांधी के कंधोपर  करते रहते है सदा सवारी है |
गांधी जी आप तो अब आंधी बन गए |
सवर्णो के लिए तो व्याधि बन गए |
आकर देख जाओ अपने प्यारे भारत की दशा |
कैसा छाया है इन पर आपके उसूलो का नशा |
तुम्हारे चहेतो ने बड़ी बड़ी उपाधियाँ आपके नाम से पाई है |
तुम्हारे विश्वास व आशा की चिता जलाई है |
सारी उपल्बधियाँ अपने ही खाते में गिनाई है |
ये सदा करते रहते है अपनी ही भरपाई है |
आपने जो दिया था  श्रम जीवी का नारा |
ये लोग नहीं समझे आपका इशारा |
अब तो पा लिया है इनलोगो ने अपना आकाश सारा |
अब नहीं कहते इनको कोई भी बेचारा |
बापू कहते थे मेरे सपनो का भारत महान |
बनेगा वह विश्व की शान आज पूरे होते दिख रहे है उनके अरमान |
वर्तमान सरकार रखेगी उनकी इच्छा का मान |
फिर भी बापू एक बार तो आ ही जाओ |
इस वर्ग भेद की भयंकर दीवार को तो मिटा ही जाओ |
विश्व को एकात्म वाद का पाठ पढ़ा जाओ |
अब तो आ ही जाओ बस एक बार आ जाओ |

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