ओ मेरे देश के वीर शहिदों |
हमें याद है
तुम्हारी कुर्बानी |
देश की रक्षा की
खातिर |
तुमने दी थी अपनी
जवानी |
तुम भी तो थे
अपनी माँ के प्यारे
अपने पापा के
दुलारे |
भाई बहिनो में थे
सबसे न्यारे |
कुर्बान हो गए
देश पर प्यारे |
देश की खातिर
तुमने थी अपनी जान गंवाई |
हमें सुरक्षा दे
कर कैसी मुक्ति पाई |
माँ बहनो की
तुमने सीमा पर लाज बचाई |
हम सब की रक्षा
की खातिर सीने पर गोली खाई |
ओ मेरे अलबेले
सिपाही |
तुमने तो अपनी ही
जान की बोली लगाई |
देश की रक्षा की
खातिर दुश्मन की गोली खाई |
भारत देश के
शहिदों की गाथाएं |
सुनाती है आज भी
हमारी माताएं |
कैसे कैसे दी
उनके लालो ने कुर्बानी |
आज भी घरों में
सुनते है हम उनकी जबानी |
यह भी सच है
जवानी में रहता है बड़ा जोश |
नहीं रख पता कोई
भी होश |
दुश्मन पर
ही निकलता है सारा आक्रोश
सीने पर गोली खा
कर वे हो जाते है वे बेहोश |
कैसी -कैसी भारत
के वीरो की कहानी है |
हम सब सुनते है
उनकी रवानी है |
जिंदगी तो आनी
जानि है|
कारगिल के वीरो
की शौर्य गाथाएँ |
अधूरी रह गई थी
उनकी आकांक्षाएं |
मन में ही रह गयी थी थी उनकी आधी अधूरी इच्छायें|
उनके परिजनों को
कैसे सांत्वना दिलाएं |
शहीद दिवस पर
करते है हम उन वीरों का सम्मान |
सदा करेगा भारत
उन वीरों की वीरता का गुणगान |
क्या हो पायेगा
इससे उनके परिजनों का जीवन आसान |
जिन्होंने झेला
यह असहनीय अवसान |
परिजनों ने कैसी
कैसी व्यथा झेली है |
हमने उनकी
त्रासदी भी देखी है
यह कैसी रीति व
नीति है |
देश के परिजनों
की आप बीती है |
वह वीर तो देश के
लिए शहीद हो गया |
इस भव सागर से
दूर हो गया|
देश के इतिहास
में मशहूर हो गया |
ईश्वर की आँखों
का वह नूर हो गया |
पर जो उनके परिजन
रह गये है पीछे |
वे अपने आंसू
कैसे पोंछे |
आओ चल कर उन्हें
सांत्वना दे कर आएं|
शहीदों की खातिर
हम इतना तो अपना फ़र्ज़ निभाएं |