रविवार, 27 जुलाई 2014

शहीद दिवस


ओ मेरे देश के वीर शहिदों |
हमें याद है तुम्हारी कुर्बानी |
देश की रक्षा की खातिर |
तुमने दी थी अपनी जवानी |
तुम भी तो थे अपनी माँ के प्यारे
अपने पापा के दुलारे |
भाई बहिनो में थे सबसे न्यारे |
कुर्बान हो गए देश पर प्यारे |
देश की खातिर तुमने थी अपनी जान गंवाई |
हमें सुरक्षा दे कर कैसी मुक्ति पाई |
माँ बहनो की तुमने सीमा पर लाज बचाई |
हम सब की रक्षा की खातिर सीने पर गोली खाई |
ओ मेरे अलबेले सिपाही |
तुमने तो अपनी ही जान की बोली लगाई |
देश की रक्षा की खातिर दुश्मन की गोली खाई |
भारत देश के शहिदों की गाथाएं |
सुनाती है आज भी हमारी माताएं |
कैसे कैसे दी उनके लालो ने कुर्बानी |
आज भी घरों में सुनते है हम उनकी जबानी |
यह भी सच है जवानी में रहता है बड़ा जोश |
नहीं रख पता कोई भी होश |
दुश्मन पर ही   निकलता है सारा आक्रोश
सीने पर गोली खा कर वे हो जाते है वे बेहोश |
कैसी -कैसी भारत के वीरो की कहानी है |
हम सब सुनते है उनकी रवानी है |
जिंदगी तो आनी जानि है|
कारगिल के वीरो की शौर्य गाथाएँ |
अधूरी रह गई थी उनकी आकांक्षाएं |
मन में  ही रह गयी थी थी उनकी आधी अधूरी इच्छायें|
उनके परिजनों को कैसे सांत्वना दिलाएं |
शहीद दिवस पर करते है हम उन वीरों का सम्मान |
सदा करेगा भारत उन वीरों की वीरता का गुणगान |
क्या हो पायेगा इससे उनके परिजनों का जीवन आसान |
जिन्होंने झेला यह असहनीय अवसान |
परिजनों ने कैसी कैसी व्यथा झेली है |
हमने उनकी त्रासदी भी देखी है
यह कैसी रीति व नीति है |
देश के परिजनों की आप बीती है |
वह वीर तो देश के लिए शहीद हो गया |
इस भव सागर से दूर हो गया|
देश के इतिहास में मशहूर हो गया |
ईश्वर की आँखों का वह नूर हो गया |
पर जो उनके परिजन रह गये है पीछे |
वे अपने आंसू कैसे पोंछे |
आओ चल कर उन्हें सांत्वना दे कर आएं|

शहीदों की खातिर हम इतना तो अपना फ़र्ज़ निभाएं |

श्री देव सुमन



आपको शत शत नमन |
देव भूमि के तुम हिमालय पुत्र महान |
सर्वत्र फैल रही तुम्हारी कीर्ति जहान |
हे बलिदानी सुमन| ,
तुमको नमन |
आज भी टिहरी तुम्हारी याद में है गमगीन |
कर रहे युम्हारी यादो को मंचासीन |
तुम छोड़ गए अपने अपूर्व बलिदान की कहानी
सबको सुना रहे है तुम्हारे अपने |
की तुमने टिहरी के लिए दी कैसी क़ुरबानी |
तुमने तो किया देश हित अपना जीवन समर्पित |
तुम्हारे बलिदान से सारा देश है गर्वित |
तुमने जो क्रांति की अलख जगाई थी |
वह अब तक भी बुझ नहीं पाई थी |
आज भी जाग्रत है टिहरी वासियो के |
दिल में तुम्हारे विचारो की मशाल |
बस एक बार पुनः इस देव भूमि में |
अवतरित हो जाओ |
हम सब कर रहे हैं आज भी तुम्हारी प्रतीक्षा |

ईश्वर कब तक पूर्ण करेगा हमारी इच्छा |

सोमवार, 21 जुलाई 2014

जोबोया है

         
हे मानव तुमने जो जीवन भर जो बोया है ,वही तो काटोगे |
जब बोया बबूल तो आम कहाँ से खा पाओगे |
जब जीवन भर किसी को अपना नहीं बनाया तो |
किससे तुम सहानुभूति की आस रखोगे |
वैसे तो संसार का नियम यही है |
नफ़रत करोगे तो नफ़रत ही मिलेगी|
प्यार से किसी से दो बोल बोलोगे तो |
झोली भर के वही साथ लेकर जाओगे |
यह शरीर तो शव के समान है लेकिन |
सद्व्यवहार से मानव पाता जीवन में मान व सम्मान है |
फिर भी क्यों भूल जाते है सब की |
नश्वर शरीर को तो सब को यही छोड़ कर जाना है |
बस केवल आत्मा ही तो साथ जाती है बस |
वही प्रभु के पास पहुंच पाती है |
वरना जीना मरना तो सबको समान है |
सब जानते है यहीं छूट जाता सारा मान व अपमान है |
हम सब एक आत्मा ही हैं यहीं सब समझो |
इसके द्वारा सदा सत्कर्म ही करो |
वही हम सबको भव से मुक्ति दिलाएगा |
वरना मन यहीं भटकता रह जायेगा |
तब वह अतृप्त आत्मा के रूप में डराएगा |
रह रह कर सबको सताएगा |
अतः मन को रखो सब शांत |

मत आने दो मन में विचार विक्रांत |

शुक्रवार, 11 जुलाई 2014

गुरुवंदन


गुरु द्रोणाचार्य की नगरी में हो रहा आज गुरुवंदन 
इस नंदन का हम करते है अभिनंदन 
यहीं से होगा गुरु चरण वंदन अभियान 
सभी करेंगे अपने-अपने आध्यात्मिक गुरुओं को सम्मानपूर्वक प्रणाम 
गुरु दिखाता है सदा सदमार्ग
ढालता है शिष्यों में सांस्कृतिक संस्कार 
आज पूजेंगे हम गुरुओं के चरणपाद 
तभी मिलेंगा हमें जीवन में उन्नति का प्रसाद 
आज गुरुवंदन कर रहे हम सब लोग 
ताकि सदमार्ग का अनुसरण कर सकें 
भौतिक जीवन का उचित भोग 
उन्हें नहीं सताये मानसिक व शारीरिक रोग
गुरु ही दिखायेगा मार्ग
उन्हें जीवन का कैसे करना है उपयोग |
विद्या का ज्ञान दर्शन करते है गुरु
अच्छी- अच्छी बातें व संस्कार ढालते है गुरु
गुरु ही गुरु ज्ञान के होते हैं पारखी 
शिष्य को ज्ञान राशि देकर बनाते हैं महारथी |
जो गुरुओं का नहीं कर पाते हैं सम्मान 
उन्हें नहीं मिल पाता जीवन में उचित आयाम 
गुरु ज्ञान से ही होता हैं सबका कल्याण 
बिना गुरु के नहीं मिल पाता उचित मुकाम |
आओ आज करें मिल कर हम सब गुरुवंदन 
उनके चरणों में हमारा है अभिनंदन 
गुरु पूर्णिमा पर करें विचारों का मंथन 
सांस्कृतिक विचारों का भी करें हम मनन 
भगवान बुद्ध को भी आज के दिन मिला था ज्ञान 
फिर चल पड़े वे पांच शिष्यों को लेकर 
अष्टमार्ग पर विचारों का करने दान 
उनके कई अनुयायी बनते गये
गुरु ज्ञान से अपनी-अपनी झोली भरते गये |
गुरु पूर्णिमा पर सब करते हैं ज्ञान ध्यान व गंगा स्नान 
गुरु की महिमा तो हैं ईश्वर से भी महान 
गुरु गोविन्द जी ने भी दिलाया गुरुओं को पूर्ण मान व सम्मान 
पूजता हैं उनको आज सम्पूर्ण जहान |

-सावित्री काला 'सवि'